पोषक तत्व (Nutrients) Topic For ssc rrb Exam पोषक तत्व (Nutrients) की संपूर्ण जानकारी हिंदी में - विटामिन, खनिज, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के कार्य, स्रोत और कमी से रोग। FOR SSC RRB EXAM पोषक तत्व क्या हैं? पोषक तत्व वे रासायनिक पदार्थ हैं जो भोजन में पाए जाते हैं और शरीर की वृद्धि, विकास, ऊर्जा उत्पादन और रखरखाव के लिए आवश्यक होते हैं। ये शरीर के सामान्य कार्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों का वर्गीकरण पोषक तत्वों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: 1. मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients) - वृहत पोषक तत्व ये बड़ी मात्रा में आवश्यक होते हैं: (A) कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) परिभाषा: कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने कार्बनिक यौगिक जो शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं। रासायनिक सूत्र: (CH₂O)n या Cx(H₂O)y प्रकार: सरल शर्करा (Simple Sugars): ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज जटिल कार्बोहाइड्रेट: स्टार्च, सेल्यूलोज, ग्लाइकोजन मुख्य स्रोत: चावल, गेहूं, आलू, मक्का, फल, शहद कार्य: शरीर को ऊर्जा प्रदान करना (1 ग्राम = 4 किलोकैलोरी) ...
🌟 विजयनगर साम्राज्य (1336 – 1646 ई.)
🔹 स्थापना
- वर्ष: 1336 ई.
- संस्थापक: हरिहर राय (हरिहर I) और बुक्का राय – संगम वंश से।
- मार्गदर्शक: विद्यारण्य स्वामी (श्रीविद्यारण्य मठ, शृंगेरी पीठ)।
- राजधानी: हम्पी (कर्नाटक, तुंगभद्रा नदी के किनारे)।
🔹 प्रमुख वंश और शासक
1. संगम वंश (1336 – 1485 ई.)
- संस्थापक: हरिहर I (1336–1356 ई.)।
- प्रमुख शासक:
- बुक्का राय I (1356–1377 ई.) – साम्राज्य का विस्तार।
- हरिहर ll - महाराजाधिराज की उपाधि धारण करी ।
- देवराय I (1406–1422 ई.) – सिंचाई नहर बनवाई। , इसने तुंगभद्र नदी पर एक बांध बनवाया
- देवराय II (1424–1446 ई.) – महान शासक; पुर्तगालियों से व्यापार।
- उल्लेखनीय ग्रंथ:
- विद्यारण्य – “पंचदशी” (दार्शनिक ग्रंथ)।
- गंगादेवी – “मधुराविजयम्” (विजयनगर विजय का वर्णन)।
2. सालुव वंश (1485 – 1505 ई.)
- संस्थापक: सालुव नरसिंह।
- राजधानी और सत्ता अस्थिर रही।
3. तुलुव वंश (1505 – 1570 ई.)
- संस्थापक: वीर नरसिंह राय।
- सबसे महान शासक: कृष्णदेव राय (1509–1529 ई.)।
- अंतिम शासक - सदाशिव
📌 कृष्णदेव राय:
- ग्रंथ:
- अमुक्तमाल्यदा (तेलुगु, प्रशासन और धर्म नीति)।
- संस्कृत में - जामवंती कल्याणम , उषा परिणय
- सरक्षक: अल्लसानी पेद्दना (आंध्र कवि, “आंध्र कवि पितामह”)।
- विजय अभियान:
- उड़ीसा पर विजय।
- बहमनी और दक्खन सल्तनतों पर कई बार विजय।
- मंदिर/स्थापत्य:
- विट्ठलस्वामी मंदिर (हम्पी) – रथ शैली, संगीत स्तंभ।
- चिदंबरम मंदिर
- एक अंबरनाथ मंदिर (कांचीपुरम)
- हज़ारा राम मंदिर – रामायण की मूर्तियाँ।
- विरुपाक्ष मंदिर – विस्तारीकरण।
4. अरविदु वंश (1570 – 1646 ई.)
- संस्थापक: तिरुमल।
- 1565 ई. तालिकोटा युद्ध (अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा, बीदर, बरार – पाँच दक्खन सल्तनतों का संघ) → विजयनगर की पराजय
- राजधानी को पेनुकोण्डा और चंद्रगिरि ले जाया गया।
- धीरे-धीरे पतन (1646 तक)।
🔹 विजयनगर की संस्कृति
- स्थापत्य:
- ड्रविड़ शैली (गोपुरम, विशाल मंडप, पत्थरों की नक्काशी)।
- हम्पी – यूनेस्को विश्व धरोहर।
- धर्म:
- वैष्णव और शैव दोनों का संरक्षण।
- साहित्य: संस्कृत, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ का विकास।
- संगीत: कार्नाटिक संगीत का उत्थान।
- विदेशी यात्री:
- निकोलो कोंटी (इटली) - देवराय पथम
- अब्दुर रज्जाक (फारस)- देवराय ll के समय
- डोमिंगो पेस (पुर्तगाल) - कृष्ण देव राय के समय
- नुंज़ (पुर्तगाल) → सभी ने राजधानी हम्पी की सम्पन्नता का वर्णन किया।
🌟 बहमनी साम्राज्य (1347 – 1527 ई.)
🔹 स्थापना
- वर्ष: 1347 ई.
- संस्थापक: अला-उद्दीन बहमन शाह (हसन गंगू)।
- राजधानी:
- पहले गुलबर्गा (1347–1425)।
- फिर बीदर (1425–1527)।
🔹 प्रमुख शासक
- अला-उद्दीन बहमन शाह (1347–1358) – संस्थापक।
- मोहम्मद शाह I (1358–1375) – विजयनगर से युद्ध।
- फिरोज शाह बहमनी (1397–1422) – कला, साहित्य, संगीत का संरक्षक।
- अहमद शाह वली (1422–1436) – राजधानी बीदर स्थानांतरित की।
- महमूद गवन (वज़ीर, 1463–1481) –
- सुधार: भूमि सर्वेक्षण, केंद्रीकरण, भ्रष्टाचार पर रोक।
- बीदर मदरसा (इस्लामी शिक्षा का केंद्र) की स्थापना।
- मृत्यु (1481) के बाद साम्राज्य दुर्बल।
🔹 संस्कृति और स्थापत्य
- स्थापत्य:
- फारसी प्रभाव + दक्खनी शैली।
- गुलबर्गा जामा मस्जिद, बीदर किला, महमूद गवन मदरसा।
- साहित्य:
- फारसी भाषा का विकास।
- दक्खनी उर्दू (दक्खिनी भाषा) का प्रारंभ।
🔹 अंत
- आंतरिक गुटबाज़ी और महमूद गवन की हत्या से साम्राज्य कमजोर।
- 1527 तक पाँच दक्खन सल्तनतों में विभाजित:
- अहमदनगर,
- बीजापुर,
- गोलकुंडा,
- बरार,
- बीदर।
- इन सल्तनतों ने मिलकर 1565 की तालिकोटा की लड़ाई (राक्षसी टंगड़ी) ( बनी हट्टी ) में विजयनगर को हराया।
🌟 तुलनात्मक दृष्टि (Vijayanagar बनाम Bahmani)
| विशेषता | विजयनगर | बहमनी |
|---|---|---|
| स्थापना | 1336 – हरिहर व बुक्का | 1347 – अला-उद्दीन बहमन शाह |
| राजधानी | हम्पी | गुलबर्गा → बीदर |
| धर्म/संस्कृति | हिंदू (वैष्णव-शैव), मंदिर, तेलुगु-कन्नड़ साहित्य | इस्लामी, मस्जिद-मदरसा, फारसी साहित्य |
| प्रमुख शासक | कृष्णदेव राय | महमूद गवन (वज़ीर) |
| ग्रंथ/पुस्तकें | अमुक्तमाल्यदा, मधुराविजयम् | फारसी साहित्य, दक्खनी उर्दू |
| स्थापत्य | विरुपाक्ष, विट्ठलस्वामी, हज़ारा राम मंदिर | गुलबर्गा मस्जिद, बीदर किला, महमूद गवन मदरसा |
| अंत | 1565 तालिकोट युद्ध, 1646 पतन | 1527 में 5 सल्तनतों में विभाजन |
👉 इस तरह विजयनगर और बहमनी – दोनों ने ही दक्षिण भारत को सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक दृष्टि से गहराई से प्रभावित किया।
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