पोषक तत्व (Nutrients) Topic For ssc rrb Exam पोषक तत्व (Nutrients) की संपूर्ण जानकारी हिंदी में - विटामिन, खनिज, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के कार्य, स्रोत और कमी से रोग। FOR SSC RRB EXAM पोषक तत्व क्या हैं? पोषक तत्व वे रासायनिक पदार्थ हैं जो भोजन में पाए जाते हैं और शरीर की वृद्धि, विकास, ऊर्जा उत्पादन और रखरखाव के लिए आवश्यक होते हैं। ये शरीर के सामान्य कार्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों का वर्गीकरण पोषक तत्वों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: 1. मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients) - वृहत पोषक तत्व ये बड़ी मात्रा में आवश्यक होते हैं: (A) कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) परिभाषा: कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने कार्बनिक यौगिक जो शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं। रासायनिक सूत्र: (CH₂O)n या Cx(H₂O)y प्रकार: सरल शर्करा (Simple Sugars): ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज जटिल कार्बोहाइड्रेट: स्टार्च, सेल्यूलोज, ग्लाइकोजन मुख्य स्रोत: चावल, गेहूं, आलू, मक्का, फल, शहद कार्य: शरीर को ऊर्जा प्रदान करना (1 ग्राम = 4 किलोकैलोरी) ...
Advent of Europeans – यूरोपीयों का भारत आगमन
15वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक और भौगोलिक क्रांति के बाद एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने की तीव्र इच्छा हुई।
- उद्देश्य:
- भारत से मसाले (Spices), रेशम, कीमती धातुएँ प्राप्त करना।
- अरब व्यापारियों और वेनिस (Venice) के व्यापारियों के एकाधिकार को तोड़ना।
- नए समुद्री मार्गों की खोज करना ताकि सीधे भारत पहुँचा जा सके।
- इसी खोज के परिणामस्वरूप विभिन्न यूरोपी देशों का भारत में प्रवेश हुआ।
🟦 1. पुर्तगाली (Portuguese) – भारत में सबसे पहले आने वाले यूरोपी
- समुद्री मार्ग की खोज:
- बार्थोलोम्यू डायस (Bartolomew Diaz) ने 1488 में “Hope Cape” (अच्छी आशा का अंतरीप) तक पहुँच कर भारत का समुद्री मार्ग खोजने की दिशा खोली।
- वास्को-दा-गामा (Vasco da Gama)
- 1498 में कालीकट (Calicut) पहुँचा — राजा ज़मोरिन (Zamorin) ने स्वागत किया।
- यह यात्रा यूरोप से भारत का सीधा समुद्री मार्ग स्थापित करती है।
- स्थायी केंद्र:
- 1503 में कोचिन में पहला कारखाना।
- 1510 में अल्बुकर्क (Albuquerque) ने गोवा पर कब्ज़ा किया और उसे राजधानी बनाया।
- मुख्य वायसराय:
- फ्रांसिस्को डे अल्मेडा (1505) – “Blue Water Policy” का प्रस्तावक।
- अल्फांसो डे अल्बुकर्क (1509–1515) – गोवा को राजधानी बनाया, मलक्का (1511) पर अधिकार।
- प्रभाव:
- भारत में कैथोलिक ईसाई धर्म का प्रसार।
- मसाला व्यापार पर प्रभुत्व।
- 17वीं सदी में डच और अंग्रेजों से हार के बाद प्रभाव घटा।
- 1961 में गोवा भारत में सम्मिलित हुआ।
🟦 2. डच (Dutch) – नीदरलैंड के व्यापारी
- संस्था: Dutch East India Company (1602)
- भारत आगमन वर्ष: 1605
- पहला केंद्र: मसुलीपट्टनम (Andhra Pradesh)
- अन्य केंद्र: पुलिकट, कोचिन, नागपट्टनम, चिन्सुरा
- मुख्य व्यापार: मसाले, रेशम, अफीम और वस्त्र।
- संघर्ष:
- 17वीं शताब्दी में पुर्तगालियों को पराजित किया।
- 1759 के Biderra (बिदेरा) युद्ध में अंग्रेजों से हारकर भारत में प्रभाव समाप्त।
- मुख्य विशेषता: भारत में राजनीतिक नियंत्रण नहीं, केवल व्यापारिक रुचि थी।
🟦 3. अंग्रेज (British)
- संस्था: British East India Company – स्थापित 31 दिसंबर 1600 ई.
- Elizabeth I ने चार्टर दिया।
- पहला प्रतिनिधि: कैप्टन विलियम हॉकिन्स – 1608 में सूरत पहुँचा, जहांगीर के दरबार में गया।
- मुख्य केंद्र:
- सूरत (1613) – पहला कारखाना ( पहला स्थायी )
- मद्रास (1639) – फ्रांसिस डे (Francis Day) ने स्थापित किया
- बॉम्बे (1668) – पुर्तगाल से प्राप्त
- कलकत्ता (1690) – जोब चार्नॉक ने बसाया
- मुख्य व्यक्ति:
- सर थॉमस रो – जहांगीर से 1615 में व्यापार की अनुमति प्राप्त की।
- प्रमुख युद्ध:
- प्लासी का युद्ध (1757) – अंग्रेजों ने बंगाल पर अधिकार किया।
- बक्सर का युद्ध (1764) – बिहार, बंगाल, और उड़ीसा पर अधिकार।
- अंततः:
- ब्रिटिश व्यापारिक शक्ति से राजनीतिक शक्ति में बदल गए।
- 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी समाप्त और ब्रिटिश क्राउन शासन शुरू।
🟦 4. डेनिश (Danish)
- संस्था: Danish East India Company – 1616
- मुख्य केंद्र:
- त्रांकबर (Tranquebar, Tamil Nadu) – 1620
- सिरामपुर (Serampore, Bengal) – 1676
- मुख्य कार्य: व्यापार और मिशनरी कार्य
- महत्वपूर्ण योगदान:
- Serampore Mission Press – भारत का पहला मिशनरी प्रिंटिंग प्रेस, जहाँ राममोहन राय के ग्रंथ छपे।
- अंतिम स्थिति:
- 1845 में डेनमार्क ने अपनी बस्तियाँ ब्रिटिशों को बेच दीं।
🟦 5. फ्रांसीसी (French)
- संस्था: French East India Company – 1664 (लुई XIV के शासन में)
- भारत आगमन वर्ष: 1668
- पहला केंद्र: सूरत
- मुख्य केंद्र: पॉंडिचेरी, माहे, करैकल, चंदननगर, यानम
- मुख्य व्यक्ति: जोसेफ फ्रांसिस डुप्ले (Joseph François Dupleix) – फ्रांसीसी गवर्नर
- संघर्ष:
- अंग्रेजों से कर्नाटक युद्धों में संघर्ष (1746–1763)
- तीन युद्ध हुए:
- पहला कर्नाटक युद्ध (1746–1748) – अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच
- दूसरा कर्नाटक युद्ध (1749–1754) – डुप्ले बनाम रॉबर्ट क्लाइव
- तीसरा कर्नाटक युद्ध (1758–1763) – फ्रांसीसियों की हार, पेरिस संधि (1763) में भारत में केवल व्यापारिक केंद्र रखने की अनुमति मिली।
- अंतिम स्थिति: फ्रांस के छोटे-छोटे केंद्र (पॉंडिचेरी आदि) 1954 तक भारत में बने रहे।
🟩 यूरोपी आगमन का सारांश (Summary Table)
| यूरोपी देश | भारत आने का वर्ष | पहला केंद्र | प्रमुख व्यक्ति | मुख्य क्षेत्र | अंतिम स्थिति |
|---|---|---|---|---|---|
| पुर्तगाली | 1498 | कालीकट | वास्को-दा-गामा, अल्बुकर्क | गोवा, कोचिन | 1961 में समाप्त |
| डच | 1605 | मसुलीपट्टनम | - | पुलिकट, नागपट्टनम | 1759 में हार |
| अंग्रेज | 1608 | सूरत | हॉकिन्स, सर थॉमस रो | कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास | 1858 तक शासन |
| डेनिश | 1616 | त्रांकबर | - | सिरामपुर | 1845 में बेचा |
| फ्रांसीसी | 1664 | सूरत | डुप्ले | पॉंडिचेरी, चंदननगर | 1763 में हार |
🟧 भारत में यूरोपीयों के आगमन के प्रभाव (Impact of Europeans in India)
- व्यापारिक प्रभाव:
- भारत विश्व व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र बना।
- यूरोपीय देशों ने भारत से मसाले, वस्त्र, और धातुएँ यूरोप भेजीं।
- राजनीतिक प्रभाव:
- अंग्रेजों ने भारत में औपनिवेशिक शासन की नींव रखी।
- भारतीय रियासतों के बीच “Divide and Rule” नीति अपनाई।
- सांस्कृतिक प्रभाव:
- ईसाई मिशनरियों की गतिविधियाँ बढ़ीं।
- पश्चिमी शिक्षा, प्रिंटिंग प्रेस और नई तकनीकें आईं।
- आर्थिक शोषण:
- भारतीय उद्योग-धंधे नष्ट हुए।
- भारत केवल कच्चा माल देने वाला देश बन गया।
- दीर्घकालिक परिणाम:
- भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता खो गई।
- ब्रिटिश शासन की शुरुआत 1757 से और 1858 में औपचारिक अधिग्रहण हुआ।
NEXT TOPIC - Socio-Religious Reforms – सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन
TAGS - Advent of Europeans in India, यूरोपीयों का भारत आगमन, knowledgegivingforce
Comments
Post a Comment