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पोषक तत्व (Nutrients) की संपूर्ण जानकारी हिंदी में - विटामिन, खनिज, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के कार्य, स्रोत और कमी से रोग। FOR SSC RRB EXAM

पोषक तत्व (Nutrients) Topic For ssc rrb Exam पोषक तत्व (Nutrients) की संपूर्ण जानकारी हिंदी में - विटामिन, खनिज, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के कार्य, स्रोत और कमी से रोग। FOR SSC RRB EXAM पोषक तत्व क्या हैं? पोषक तत्व वे रासायनिक पदार्थ हैं जो भोजन में पाए जाते हैं और शरीर की वृद्धि, विकास, ऊर्जा उत्पादन और रखरखाव के लिए आवश्यक होते हैं। ये शरीर के सामान्य कार्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पोषक तत्वों का वर्गीकरण पोषक तत्वों को दो मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है: 1. मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (Macronutrients) - वृहत पोषक तत्व ये बड़ी मात्रा में आवश्यक होते हैं: (A) कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) परिभाषा: कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बने कार्बनिक यौगिक जो शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत हैं। रासायनिक सूत्र: (CH₂O)n या Cx(H₂O)y प्रकार: सरल शर्करा (Simple Sugars): ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज जटिल कार्बोहाइड्रेट: स्टार्च, सेल्यूलोज, ग्लाइकोजन मुख्य स्रोत: चावल, गेहूं, आलू, मक्का, फल, शहद कार्य: शरीर को ऊर्जा प्रदान करना (1 ग्राम = 4 किलोकैलोरी) ...

सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन | Socio-Religious Reform Movements in India (Full Notes for SSC & RRB)

भारत में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन (Socio-Religious Reform Movements in India)

🔹 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

18वीं शताब्दी के अंत और 19वीं शताब्दी की शुरुआत में भारतीय समाज अनेक कुरीतियों, धार्मिक रूढ़िवादिता, अंधविश्वास, छुआछूत, सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, अशिक्षा, स्त्री उत्पीड़न से ग्रसित था।
ब्रिटिश शासन के आगमन के बाद पश्चिमी शिक्षा, विज्ञान, और आधुनिक विचारों का प्रभाव बढ़ा। इससे भारतीय समाज में जागृति की शुरुआत हुई — जिसे हम “भारतीय पुनर्जागरण” (Indian Renaissance) कहते हैं।

🔹 सुधार आंदोलनों की आवश्यकता क्यों पड़ी?

  1. सामाजिक बुराइयों का अंत करना (सती, बाल विवाह, छुआछूत आदि)।
  2. महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देना।
  3. धर्म की शुद्धता और नैतिकता की स्थापना करना।
  4. ब्रिटिश शिक्षा और विज्ञान से प्रेरित होकर समाज में तर्कशीलता फैलाना।
  5. राष्ट्रवाद और एकता के लिए सामाजिक सुधार जरूरी बन गया था।

🟦 1. राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज (Brahmo Samaj, 1828)

  • संस्थापक: राजा राममोहन राय (1772–1833)

  • स्थान: कलकत्ता

  • स्थापना वर्ष: 1828

  • प्रेरणा स्रोत: उपनिषद, वेदांत दर्शन, और इस्लाम व ईसाई धर्म के उदार विचार।

  • मुख्य उद्देश्य:

    1. एकेश्वरवाद (Monotheism) का प्रचार — “ईश्वर एक है।”
    2. मूर्तिपूजा, बहुदेववाद और कर्मकांडों का विरोध।
    3. सती प्रथा, बाल विवाह, जातिवाद समाप्त करना।
    4. स्त्रियों की शिक्षा और अधिकारों का प्रसार।
    5. धर्म में तर्क और नैतिकता का प्रयोग।
  • महत्वपूर्ण उपलब्धि:

    • सती प्रथा के विरुद्ध संघर्ष कर 1829 में लॉर्ड विलियम बेंटिंक द्वारा इसे समाप्त करवाया।
    • भारतीय समाज में “विवेक आधारित धर्म” की नींव रखी।
  • उत्तराधिकारी:

    • देवेन्द्रनाथ टैगोर (Adhisabha – 1843)
    • केशवचंद्र सेन – ब्रह्म समाज को आधुनिक बनाया (Brahmo Samaj of India – 1866)

🟦 2. यंग बंगाल आंदोलन (Young Bengal Movement, 1820s–1830s)

  • नेता: हेनरी विवियन डेरोजियो (Anglo-Indian शिक्षक, हिंदू कॉलेज, कलकत्ता)
  • सदस्य: डेरोजियन छात्र — राधाकांत देब, कृष्णमोहन बनर्जी, रामगोपाल घोष आदि।
  • विचारधारा:
    • तर्कवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नास्तिकता और मानवता पर बल।
    • धर्म और समाज की रूढ़ियों का विरोध।
  • मुख्य उद्देश्य:
    • पश्चिमी शिक्षा और स्वतंत्र सोच को बढ़ावा देना।
    • धर्म, जाति और अंधविश्वासों से मुक्ति।
  • प्रभाव:
    • बंगाल में बौद्धिक क्रांति (Intellectual Revolution) की नींव पड़ी।

🟦 3. प्रार्थना समाज (Prarthana Samaj, 1867)

  • संस्थापक: आत्माराम पांडुरंग
  • सहयोगी नेता: महादेव गोविंद रानाडे, आर.जी. भंडारकर, जी.बी. देशमुख
  • स्थान: बॉम्बे
  • उद्देश्य:
    1. मूर्तिपूजा का विरोध
    2. जातिवाद समाप्त करना
    3. स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह को बढ़ावा देना
    4. समाज में नैतिकता और सेवा की भावना स्थापित करना।
  • प्रभाव: महाराष्ट्र और पश्चिम भारत में सुधारवादी चेतना का प्रसार।

🟦 4. सत्यशोधक समाज (Satyashodhak Samaj, 1873)

  • संस्थापक: ज्योतिबा फुले (महात्मा फुले)
  • स्थान: पुणे
  • मुख्य उद्देश्य:
    1. समाज में ऊँच-नीच की भावना का अंत।
    2. शूद्रों और अछूतों को समान अधिकार।
    3. महिला शिक्षा और जातिगत भेदभाव का विरोध।
  • महत्वपूर्ण योगदान:
    • सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर पहली लड़कियों की स्कूल खोली।
    • भारतीय समाज में दलित जागरण की नींव रखी।

🟦 5. आर्य समाज (Arya Samaj, 1875)

  • संस्थापक: स्वामी दयानंद सरस्वती
  • ग्रंथ: सत्यार्थ प्रकाश
  • नारा: “वेदों की ओर लौटो (Back to the Vedas)”
  • मुख्य उद्देश्य:
    1. वेदों के सिद्धांतों पर समाज का पुनर्निर्माण।
    2. मूर्तिपूजा, बहुदेववाद और कर्मकांडों का विरोध।
    3. स्त्री शिक्षा, समानता और राष्ट्रभक्ति को बढ़ावा।
    4. “शुद्धि आंदोलन” – धर्मांतरित हिन्दुओं को पुनः हिन्दू धर्म में लाना।
  • प्रभाव:
    • समाज में शिक्षा और राष्ट्रवाद का प्रसार।
    • पंजाब और उत्तर भारत में सबसे प्रभावशाली सुधार आंदोलन।

🟦 6. थिओसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society, 1879 in India)

  • संस्थापक: मैडम एनी बेसेंट और कर्नल ओल्कॉट
  • मुख्यालय: अडयार (मद्रास)
  • उद्देश्य:
    1. सभी धर्मों की एकता और समानता।
    2. भारतीय वेदांत, उपनिषद और योग दर्शन को पुनर्जीवित करना।
    3. स्त्रियों की शिक्षा और आध्यात्मिक उत्थान।
  • प्रभाव:
    • एनी बेसेंट ने होम रूल मूवमेंट (1916) की शुरुआत की।
    • भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान और गर्व का विकास हुआ।

🟦 7. रामकृष्ण मिशन (Ramakrishna Mission, 1897)

  • संस्थापक: स्वामी विवेकानंद
  • प्रेरणा स्रोत: रामकृष्ण परमहंस
  • मुख्य सिद्धांत:
    • मानव सेवा ही ईश्वर सेवा” (Service to man is service to God)
  • कार्य:
    1. शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के केंद्र स्थापित किए।
    2. धार्मिक सहिष्णुता और एकता का प्रचार।
    3. राष्ट्रभक्ति और आत्मनिर्भरता की भावना जगाई।
  • प्रभाव:
    • भारत के युवाओं में आत्मबल और आध्यात्मिकता की भावना।
    • स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरक भूमिका।

🟦 8. अलीगढ़ आंदोलन (Aligarh Movement, 1875)

  • संस्थापक: सर सैयद अहमद खान
  • संस्था: मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज (बाद में AMU)
  • उद्देश्य:
    1. मुस्लिम समाज में आधुनिक शिक्षा का प्रसार।
    2. अंधविश्वास, पर्दा प्रथा और धार्मिक कट्टरता का विरोध।
    3. विज्ञान और तर्क आधारित सोच विकसित करना।
  • प्रभाव:
    • मुस्लिम समाज में आधुनिकता आई।
    • मुस्लिम पुनर्जागरण की शुरुआत हुई।

🟦 9. अह्मदिया आंदोलन (Ahmadiya Movement, 1889)

  • संस्थापक: मिर्जा गुलाम अहमद (कादियाँ, पंजाब)
  • उद्देश्य:
    • इस्लाम की नैतिक और आध्यात्मिक पुनर्स्थापना।
    • पश्चिमी प्रभाव और धार्मिक अंधविश्वास का विरोध।
  • प्रभाव:
    • मुस्लिम समाज में सुधार और विवेक की भावना।

🟦 10. देव समाज (Dev Samaj, 1887)

  • संस्थापक: शिव नारायण अग्निहोत्री (लाहौर)
  • उद्देश्य:
    • नैतिक और आध्यात्मिक जीवन पर बल।
    • मूर्तिपूजा और अंधविश्वास का विरोध।

🟩 महिला सुधार और शिक्षा आंदोलन

सुधारक कार्य / योगदान
राजा राममोहन राय सती प्रथा समाप्त (1829)
ईश्वरचंद्र विद्यासागर विधवा विवाह अधिनियम (1856), महिला शिक्षा
ज्योतिबा फुले पहली महिला स्कूल (1848)
सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम शिक्षिका
पंडिता रमाबाई महिला शिक्षा, अनाथालय स्थापन
एनी बेसेंट महिला अधिकार, होम रूल मूवमेंट
सर सैयद अहमद खान मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा
स्वामी दयानंद सरस्वती स्त्रियों को वेदाधिकार का समर्थन

🟧 इन आंदोलनों का समग्र प्रभाव

  1. धर्म की शुद्धता – मूर्तिपूजा और अंधविश्वासों का विरोध।
  2. सामाजिक सुधार – सती, बाल विवाह, छुआछूत, पर्दा प्रथा का अंत।
  3. महिला सशक्तिकरण – शिक्षा और समान अधिकारों का विस्तार।
  4. शिक्षा का प्रसार – आधुनिक व तर्कपूर्ण शिक्षा को बढ़ावा।
  5. राष्ट्रीयता का विकास – समाज सुधार से राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  6. धर्मनिरपेक्षता की नींव – सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता।

🟩 सारांश तालिका (Quick Summary Table) ( ONLY IMP. )

आंदोलन संस्थापक वर्ष प्रमुख उद्देश्य
ब्रह्म समाज राजा राममोहन राय 1828 एकेश्वरवाद, सती प्रथा समाप्त
यंग बंगाल डेरोजियो 1820s तर्कवाद और आधुनिकता
प्रार्थना समाज आत्माराम पांडुरंग 1867 स्त्री शिक्षा, जाति सुधार
सत्यशोधक समाज ज्योतिबा फुले 1873 जातिवाद और अंधविश्वास विरोध
आर्य समाज स्वामी दयानंद 1875 वेदों की ओर लौटो, शिक्षा
थेओसोफिकल सोसायटी एनी बेसेंट 1879 आध्यात्मिक एकता, शिक्षा
अलिगढ़ आंदोलन सर सैयद अहमद खान 1875 मुस्लिम समाज में आधुनिक शिक्षा
रामकृष्ण मिशन विवेकानंद 1897 सेवा, शिक्षा, राष्ट्रभक्ति



A BIT MORE CATEGORYWISE  DISCUSSION


🟩 हिन्दू सुधार आंदोलन (Hindu Reform Movements)

1️⃣ ब्रह्म समाज (Brahmo Samaj)

  • संस्थापक: राजा राममोहन राय (1828, कलकत्ता)
  • सहयोगी: देवेन्द्रनाथ टैगोर, केशवचंद्र सेन
  • मुख्य उद्देश्य:
    • एकेश्वरवाद और मानव-सेवा का प्रचार
    • मूर्तिपूजा, जाति-भेद, सती-प्रथा का विरोध
    • स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह का समर्थन
  • महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ:
    • सती प्रथा समाप्त (1829, लॉर्ड बेंटिक)
    • महिला शिक्षा में सुधार

2️⃣ यंग बंगाल आंदोलन (Young Bengal Movement)

  • संस्थापक: हेनरी विवियन डेरोजियो (1828)
  • सदस्य: उनके विद्यार्थी “डेरोजियन्स” कहलाए
  • उद्देश्य: तर्क, विवेक, स्वतंत्र विचार और विज्ञान आधारित जीवन
  • प्रभाव: पश्चिमी विचारधारा और तर्कशीलता का प्रसार

3️⃣ प्रार्थना समाज (Prarthana Samaj)

  • संस्थापक: आत्माराम पांडुरंग (1867, बॉम्बे)
  • सहयोगी: महादेव गोविंद रानाडे, आर. जी. भंडारकर
  • उद्देश्य:
    • मूर्तिपूजा का विरोध
    • जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा का उन्मूलन
    • विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा

4️⃣ आर्य समाज (Arya Samaj)

  • संस्थापक: स्वामी दयानंद सरस्वती (1875, बॉम्बे)
  • ग्रंथ: सत्यार्थ प्रकाश
  • नारा: “वेदों की ओर लौटो”
  • मुख्य उद्देश्य:
    • मूर्तिपूजा, अंधविश्वास, बाल विवाह, सती-प्रथा का विरोध
    • शुद्धि आंदोलन (ग़ैर-हिन्दुओं को पुनः हिन्दू धर्म में लाना)
    • स्त्री-शिक्षा और समानता
  • प्रभाव: राष्ट्रीय चेतना और स्वराज की भावना फैली

5️⃣ रामकृष्ण मिशन (Ramakrishna Mission)

  • संस्थापक: स्वामी विवेकानंद (1897, कलकत्ता)
  • प्रेरणा: श्री रामकृष्ण परमहंस
  • उद्देश्य:
    • “सेवा ही धर्म है”
    • शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीब-सेवा
    • धर्मों के बीच समरसता
  • प्रभाव: युवाओं में आत्मविश्वास और राष्ट्रवाद

6️⃣ थेओसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society)

  • संस्थापक: मैडम एनी बेसेंट और कर्नल ओल्कॉट (1875, अमेरिका; 1879 भारत आगमन)
  • मुख्यालय: अडयार (चेन्नई)
  • उद्देश्य:
    • सभी धर्मों में समानता
    • भारतीय संस्कृति और वेदांत दर्शन का पुनर्जागरण
    • महिला शिक्षा और मानव-सेवा
  • प्रभाव: एनी बेसेंट ने बाद में होम रूल आंदोलन शुरू किया।

7️⃣ देव समाज (Dev Samaj)

  • संस्थापक: शिव नारायण अग्निहोत्री (1887, लाहौर)
  • उद्देश्य: नैतिकता, सेवा और सादगी पर आधारित समाज
  • विशेषता: कर्म और नैतिकता को सर्वोपरि माना, मूर्तिपूजा का विरोध

8️⃣ तत्त्व बोधिनी सभा (Tattvabodhini Sabha)

  • संस्थापक: देवेन्द्रनाथ टैगोर (1839, कलकत्ता)
  • उद्देश्य: वेदों और उपनिषदों के अध्ययन द्वारा ज्ञान और नैतिकता का प्रसार
  • प्रभाव: ब्रह्म समाज को सशक्त आधार मिला

9️⃣ सत्यशोधक समाज (Satyashodhak Samaj)

  • संस्थापक: जोतिबा फुले (1873, पूना)
  • उद्देश्य:
    • ब्राह्मणवाद और जातिवाद का विरोध
    • शूद्र-अतिशूद्रों के अधिकार
    • स्त्री शिक्षा और समानता
  • पत्नी: सावित्रीबाई फुले – पहली महिला शिक्षिका
  • प्रभाव: महाराष्ट्र में सामाजिक समानता की नींव रखी

🔶 दलित एवं पिछड़े वर्गों के सुधार आंदोलन


1️⃣0️⃣ श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (SNDP Movement)

  • संस्थापक: श्री नारायण गुरु (1903, केरल)
  • उद्देश्य:
    • जातिवाद समाप्त करना
    • “एक जाति, एक धर्म, एक ईश्वर” का सिद्धांत
  • प्रभाव: केरल में सामाजिक समानता की क्रांति

1️⃣1️⃣ आदि धर्म आंदोलन (Adi Dharma Movement)

  • संस्थापक: स्वामी अछूतानंद (1920 के दशक, उत्तर भारत)
  • उद्देश्य: दलितों को सम्मान और शिक्षा देना, ब्राह्मणवाद का विरोध

1️⃣2️⃣ हरिजन आंदोलन (Harijan Movement)

  • प्रमुख नेता: महात्मा गांधी
  • उद्देश्य: अस्पृश्यता का अंत, दलितों के लिए सामाजिक सम्मान और मंदिर प्रवेश अधिकार

🔷 मुस्लिम सुधार आंदोलन (Muslim Reform Movements)

1️⃣3️⃣ अलीगढ़ आंदोलन (Aligarh Movement)

  • संस्थापक: सर सैयद अहमद खान (1875)
  • संस्था: मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज → अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (1920)
  • उद्देश्य:
    • आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
    • मुस्लिम समाज में सुधार
    • पश्चिमी शिक्षा अपनाना

1️⃣4️⃣ अहमदिया आंदोलन (Ahmadiya Movement)

  • संस्थापक: मिर्जा गुलाम अहमद (1889, क़ादियाँ, पंजाब)
  • उद्देश्य: इस्लाम की नैतिक और आध्यात्मिक शुद्धि, धर्मांधता का विरोध

1️⃣5️⃣ देवबंद आंदोलन (Deoband Movement)

  • संस्थापक: मौलाना क़ासिम नानौतवी और राशिद अहमद गंगोही (1866)
  • संस्था: दारुल उलूम देवबंद
  • उद्देश्य: इस्लामी शिक्षा और नैतिकता की रक्षा, विदेशी प्रभाव का विरोध

🔶 सिख सुधार आंदोलन (Sikh Reform Movements)

1️⃣6️⃣ सिंह सभा आंदोलन (Singh Sabha Movement)

  • स्थापना: 1873, अमृतसर
  • उद्देश्य: सिख धर्म की शुद्धता, शिक्षा का प्रसार, अंधविश्वास का विरोध
  • प्रभाव: सिख धर्म का पुनर्जागरण और SGPC की स्थापना (1920)

1️⃣7️⃣ अकाली आंदोलन (Akali Movement)

  • आरंभ: 1920
  • उद्देश्य: गुरुद्वारों को भ्रष्ट महंतों से मुक्त कराना, धार्मिक स्वायत्तता

⚙️ इन आंदोलनों के प्रमुख प्रभाव (Impacts of Reform Movements)

  1. अंधविश्वास और कुरीतियों का अंत
  2. स्त्रियों और दलितों की स्थिति में सुधार
  3. आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रसार
  4. राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता आंदोलन की वैचारिक नींव
  5. भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण और आत्मसम्मान की भावना

📊 सारांश तालिका (Summary Table)

आंदोलन संस्थापक वर्ष प्रमुख उद्देश्य
ब्रह्म समाज राजा राममोहन राय 1828 सती प्रथा समाप्त, एकेश्वरवाद
आर्य समाज स्वामी दयानंद 1875 वेदों की ओर लौटो, शुद्धि
प्रार्थना समाज आत्माराम पांडुरंग 1867 जाति सुधार, स्त्री शिक्षा
सत्यशोधक समाज जोतिबा फुले 1873 शूद्र अधिकार, स्त्री शिक्षा
SNDP आंदोलन नारायण गुरु 1903 समानता, जाति उन्मूलन
देव समाज शिव नारायण अग्निहोत्री 1887 नैतिकता, मूर्तिपूजा का विरोध
रामकृष्ण मिशन विवेकानंद 1897 सेवा, शिक्षा, एकता
थेओसोफिकल सोसायटी एनी बेसेंट 1879 सभी धर्म समान
अलीगढ़ आंदोलन सर सैयद अहमद 1875 मुस्लिम शिक्षा सुधार
सिंह सभा आंदोलन सिख सुधारक 1873 धर्म शुद्धि
अकाली आंदोलन सिख समुदाय 1920 गुरुद्वारा सुधार
देवबंद आंदोलन मौलाना नानौतवी 1866 धार्मिक शिक्षा
अहमदिया आंदोलन               मिर्जा गुलाम अहमद         1889 इस्लामी सुधार


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